सौग़ात
कथा साहित्य | लघुकथा शिवानन्द झा चंचल1 Sep 2019
आज सुबह-सुबह जैसे ही उसने अख़बार हाथ में लिया, उसकी नज़र अख़बार के मुख्यपृष्ठ पर छपे "होली के अवसर पर नियोजित शिक्षकों को वेतन की सौग़ात" पर गयी। इसको पढ़ने के बाद उसे खीझ के साथ हँसी भी आयी, क्योंकि बिहार का शिक्षा विभाग शायद दुनिया की पहली ऑर्गेनाइज़ेशन होगी, जहाँ अपने कर्मचारियों के काम के बदले जब भी वेतन भुगतान होता है, तो वह "सौग़ात" शब्द के साथ अख़बार की सुर्ख़ियाँ बनता है। ऐसे भी तीन साल की नौकरी में उसे अभी बमुश्किल छह या सात बार मात्र वेतन मिला था।
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