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ऐश्वर्या राय का कमरा (1)

चला जाता हूँ/उस सड़क पर
जहाँ लिखा होता है-
आगे जाना मना है।
मुझे ख़ुद के अंदर घुटन होती है
मैं
समझता हूँ लूई पास्चर को,
जिसने बताया की
करोड़ों बैक्टिरिया हमें अंदर ही अंदर खाते हैं
पर वो लाभदायक निकलते हैं
इसलिए वो मेरी घुटन के ज़िम्मेदार नहीं हैं
कुछ और ही है
जो मुझे खाता है/चबा-चबा कर।
आपको भी खाता होगा कभी
शायद नींद में/जागते हुए/
या
रोटी को तड़फते 
झुग्गी झोंपड़ियों के बच्चों को निहारती
आपकी आँखों को।

 

...धूप ,
नही आयगी उस दिन
दीवारें गिर चुकी होंगी
या काली हो जाएँगी/
आपके बालों की तरह
आप उन पर गार्नियर या कोई - 
महँगा शम्पू नहीं रगड़ पाओगे
आपकी वो काली हुई दीवार
इंसान के अन्य ग्रह पर रहने के सपने को -
और भी ज्यादा/ आसान कर देगी।

 

अगर आपको भी है पैर हिलाने की आदत,
तो हो जाएँ सावधान..
सूरज कभी भी फट सकता है
दो रुपये के पटाके की तरह
और चाँद हँसेगा उस पर
तब हम,
गुनगुनाएँगे हिमेश रेशमिया का कोई नया गाना।

 

तीन साल की उम्र तक 
आपका बच्चा नहीं चल रहा होगा तो...
आप कुछ करने की बजाए
कोसेंगे बाइबिल और गीता को
तब तक
आपका बैडरूम बदल चुका होगा एक तहखाने में
आप कुछ नहीं कर पाओगे
आपकी तरह मेरा दिमाग़ या मेरा आलिंद-निलय का जोड़ा,
सैकड़ों वर्षों से कोशिश करता रहा है कि 
जब मृत्यु घटित होती है,
तो शरीर से कोई चीज़ बाहर जाती है या नहीं?
आपके शरीर पर कोई नुकीला पदार्थ खरोंचेगा..
और अगर धर्म; पदार्थ को पकड़ ले,
तो विज्ञान की फिर कोई भी ज़रूरत नहीं है।

 

मैं मानता हूँ कि
हम सब बौने होते जा रहे है/कल तक हम सिकुड़ जायेंगे/
तब दीवार पर लटकी
आइंस्टाईन की एक अंगुली हम पर हँसेगी।
और आप सोचते होंगे कि
मैं कहाँ जाऊँगा?
मैं सपना लूँगा एक लंबा सा/
उसमें कोई "वास्को-डी गामा" फिर से/कलकत्ता क़ी छाती पर क़दम
रखेगा और आवाज़ सुनकर मैं उठ खड़ा हो जाऊँगा
एक भूखा बच्चा,
वियतनाम की खून से सनी गली में /अपनी माँ को खोज लेता है/
उस वक़्त ऐश्वर्या राय अपने कमरे (मंगल ग्रह वाला) में सो रही है
और दुबई वाला उसका फ्लैट खाली पड़ा है।

 

मेरे घर में चीनी ख़त्म हो गयी है..
मुझे उधार लानी होगी..
इसलिये बाक़ी कविता कभी नही लिख पाऊँगा।
(हालाँकि आपका सोचना ग़लत है)

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