असभ्य कौन है
काव्य साहित्य | कविता सनी गंगवार 'गुरु'1 Oct 2020 (अंक: 166, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
असभ्य कौन है
तन ढकने को कपड़े नहीं है
पैर में पहने के लिए चप्पल नहीं है
भरी दोपहरी में जो खेत में काम करे
फिर भी पेट भर भोजन न मिले सके
असभ्य हैं वो लोग
जो तुम्हारे लिए
मज़दूरी करे
रिक्शा चलाए
ठेला चलाए
असभ्य हैं वे लोग
जो तुम्हारी गली को साफ़ करे
गटर में घुस के सफ़ाई करे
जिस को तुम गाली दे सको
असभ्य हैं वे लोग साहब
जो किसी दूसरे के ख़ून से रंगे नहीं
जो किसी के निवाले छीनते नहीं
जिनके घर कुबेर नहीं
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