दुनिया
काव्य साहित्य | कविता कविता1 Sep 2020 (अंक: 163, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
ख़त की लिखावट देखी
जानी पहचानी - सी लगती है
ऐ दुनिया! तू मुझको
अनजानी सी लगती है...
रिश्तों के नाम तो वही हैं,
पर रिश्ते बदल गये हैं
लोग तो वही हैं
पर निगाहें बदल गई है...
अजीब - सी नज़रे हैं
अजब- से नज़ारे हैं
दुनिया तो वही है
दुनिया - वाले बदल गये हैं...
रंग - बिरंगी दुनिया में
गिरगिट भरे हुए हैं सारे
पहचान मुश्किल है
मुखौटा पहने हुए हैं सारे...
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