हिंदी मेरी भाषा
काव्य साहित्य | कविता मईनुदीन कोहरी ’नाचीज़’15 Sep 2021 (अंक: 189, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
प्यारी-प्यारी सबसे न्यारी मेरी भाषा।
हिंदी पर बिन्दी हिंदी प्यारी मेरी भाषा॥
देश-विदेशों मे है जिसका गुणगान।
सब से अच्छी सबसे प्यारी मेरी भाषा॥
ज्ञान-विज्ञान का अकूत भण्डार है ये।
इसलिए सब जन-जन पढ़ते मेरी भाषा॥
हिंदी पढ़ेगा गर भारत का बच्चा-बच्चा।
सम्प्रेषण में भी उपयोगी होगी मेरी भाषा॥
खेल-सिनेमा जगत ने जिसको अपनाया।
एकता का पाठ हमें पढ़ाने वाली मेरी भाषा॥
सब भाषाओं के संग जिसने मेल बिठाया।
भाषायी-ज्ञान जन-जन तक लाई मेरी भाषा॥
राष्ट्र-भाषा का मान-सम्मान जिसको मिला।
देव नागरी लिपि जिसकी वो वैज्ञानिक भाषा॥
सूफ़ी-संत-साहित्यकारों ने जिससे यश पाया।
जाति, धर्म-पंथ सब के मुख शोभित मेरी भाषा॥
सविंधान ने जिस भाषा को गौरवान्वित किया।
हिंदी दिवस के रूप में जिसे मनाते वो मेरी भाषा॥
अटल जी ने यू एन ओ में जिसका मान बढाया।
हिंदी हैं हम वतन, हिंदी है प्यारी मेरी भाषा॥
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