इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ
शायरी | ग़ज़ल स्व. अखिल भंडारी1 Mar 2019
इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ
इक दिया मुंडेर पर जलता हुआ
एक पत्ता शाख से गिरता हुआ
इक परिंदा आस्मां छूता हुआ
एक तितली फूल पर बैठी हुई
एक मकड़ा जाल में उलझा हुआ
ज़र्द पत्ते हर तरफ़ उड़ते हुए
और हवा का हौसला बढ़ता हुआ
एक धरती धूप में तपती हुई
एक दरिया बेख़बर बहता हुआ
कोई आहट दूर से आती हुई
एक दरवाज़ा कहीं खुलता हुआ
बेसबब सारे खिलौने तोड़ कर
एक बच्चा ज़ोर से रोता हुआ
तक्तीअ
बहर: रमल मुसद्दस महज़ूफ
फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
इक मुसाफ़िर/ राह से भट/का हुआ
२ १ २ २ / २ १ २ २/ २ १ २
इक दिया मुं/डेर पर जल/ता हुआ
२ १ २ २/ २१ २ २ / २ १ २
एक पत्ता शाख से गिरता हुआ
२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
इक परिंदा आस्मां छूता हुआ
२ १ २२ २१ २ २ २ १ २
एक तितली फूल पर बैठी हुई
२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
एक मकड़ा जाल में उलझा हुआ
२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
ज़र्द पत्ते हर तरफ़ उड़ते हुए
२ १ २२ २ १ २ २ २ १२
और हवा का हौसला बढ़ता हुआ
(और को २ १ या सिर्फ २ गिनना मान्य है)
२ १ २ २ २१ २ २ २ १ २
एक धरती धूप में तपती हुई
२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
एक दरिया बेख़बर बहता हुआ
२ १ २ २ २१२ २ २ १ २
कोई आहट दूर से आती हुई
(कोई को २२, २१, या १२ गिना जा सकता है)
२ १ २ २ २१ २ २ २ १ २
एक दरवाज़ा कहीं खुलता हुआ
२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
बेसबब सारे खिलौने तोड़ कर
२ १ २ २/ २ १ २ २/ २ १ २
एक बच्चा ज़ोर से रोता हुआ
२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
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ग़ज़ल
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- इक मुसाफ़िर राह से भटका हुआ
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कहानी
नज़्म
कविता
विडियो
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ऑडियो
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