जान के नाम
शायरी | नज़्म अभिलाष गुप्ता4 Feb 2019
तुम जो मेरे शाने पे
रख देती हो हाथ अपना
गोया मुझे पे एक ज़िन्दगी
मेहरबान हुई जाती है,
हर साँस महकने लगती है
फूल बनकर
हर ख़ुशबू मेरे दिल की
ज़बान हुई जाती है,
जब तुम रख देती हो
मेरे अधरों पे थरथराते लब अपने,
मेरी हर ख़्वाहिश जवान हुई जाती है,
गिरूँ जो लड़खड़ा कर
तो थाम लेना मुझको,
मेरी तमन्नाओं की ज़मीं,
आसमान हुई जाती है,
तुम्हें क़सम है इक पल भी
अकेला न छोड़ना मुझको,
तन्हाई में घबराता है जी,
तबीयत परेशान हुई जाती है,
राह में निकला ना करो
खोल कर गेसू अपने,
भरी दोपहर में अँधेरा देखकर
दुनिया हैरान हुई जाती है,
मत पूछो मुझसे मुहब्बत
के अजाब ऐ दोस्त,
मेरी जान की दुश्मन अब
मेरी जान हुई जाती है।
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