नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन
काव्य साहित्य | कविता लाल देवेन्द्र कुमार श्रीवास्तव1 Jan 2020 (अंक: 147, प्रथम, 2020 में प्रकाशित)
मैं करता स्वागत अभिनंदन!
नव वर्ष तुम्हारा हृदय से वंदन!
नई उमंग, हर्षित है मन,
नव वर्ष तुम हो महकते चंदन॥
संकल्प लिया है करने को नव सृजन,
तम मिटे, प्रकाश का सर्वत्र होगा आगमन।
झूठ, कपट, फ़रेब से न होगा वास्ता,
बुराईयों पर अच्छाइयों का हो मनन॥
जीवन में नव किरणों का हो सुप्रभात,
नव वर्ष में सद्कर्म से मिले नई सौगात।
सेवा, त्याग, आत्मबल की हो समृद्धि,
नूतन वर्ष में मेरे कृत्य से न हो काली रात॥
नव वर्ष में जीवन में नव गीत संगीत हो,
दूरियाँ मिटें, अपनों से ख़ूब प्रीत हो।
अज्ञानता व कुरीतियों का अंत हो,
नव वर्ष में ख़ुशियाँ पाने की नई रीत हो॥
नव वर्ष में जीवन में मेरे नव उत्कर्ष हो,
नव पथ के निर्माण में नव विमर्श हो।
ईर्ष्या, विद्वैष, निजस्वार्थ को मैं तजूँ,
नव वर्ष में चुनौतियाँ स्वीकारने का हर्ष हो॥
नव वर्ष में राष्ट्र के प्रगति में हो भागीदारी,
समाज परिवार के विकास में हो हिस्सेदारी।
अपने अधिकारों को ही न सहेजें हम,
कर्तव्य पालन की भी मेरी हो ज़िम्मेदारी॥
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