तू कहे तो...
काव्य साहित्य | कविता मधुलिका मिश्रा15 Apr 2019
तू अगर आग है,
मैं तुझमें जल जाऊँ।
है तू समुंदर तो,
नदिया बन तुझमें समाऊँ
मैं रेत बन कभी,
तुम्हें छू जाऊँ
तो कभी लहर बन कर,
तेरे दर तक आऊँ।
हर लम्हे को जी लूँ
तेरी हो के ज़िन्दगी बिताऊँ॥
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टिप्पणियाँ
Puneet Tyagi 2023/06/16 04:51 PM
Wahh Bahut Sunder Madhulika Ji
Manoj ktariya 2022/12/25 09:28 AM
❤ नींद चुराने वाले पूछते हैं सोते क्यों नही इतनी ही फिक्र है तो फिर हमारे होते क्यों नही❤ ktariya
Mohammed waris Siddiqui 2019/04/19 05:03 AM
Bahut sunder kavita
Amar Jeet Kaur 2019/04/18 11:55 AM
अत्यंत सुंदर कविता।
कृपया टिप्पणी दें
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उपलब्ध नहीं
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Anjaan 2024/03/11 12:28 AM
Good one