उसे ग़ुस्से में क्या कुछ कह दिया था
शायरी | ग़ज़ल स्व. अखिल भंडारी1 Mar 2019
उसे ग़ुस्से में क्या कुछ कह दिया था
अकेले में वो शायद रो रहा था
वो शायद ख़ुश नहीं था मुझ से मिल कर
मिला तो था मगर चुप ही रहा था
था अपने ही नगर में अजनबी वो
सभी जैसा था पर सब से जुदा था
नहीं था कोई मुझ जैसा वहाँ पर
मैं उन लोगों में क्यों शामिल हुआ था
अभी कहने को था बाक़ी बहुत कुछ
मेरी आवाज़ को क्या हो गया था
मज़े में सो रहे थे लोग घर के
मगर पीछे का दरवाज़ा खुला था
मैं ख़ुद को ढूँढ तो लेता यक़ीनन
मैं अपने आप से उकता गया था
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टिप्पणियाँ
mahavir uttranchali 2019/03/01 06:48 AM
nice! Ghazal Sahab!!
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ग़ज़ल
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कहानी
नज़्म
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
Suresh 2019/03/09 01:57 AM
बहुत बहुत ख़ूब , गहराई और सच्चाई लिए हुए ये ग़ज़ल सचमुच लाज़वाब है, दिल से दाद कुबूल करें