वृन्दावन की माटी चंदन
काव्य साहित्य | गीत-नवगीत डॉ. अवनीश सिंह चौहान1 Jun 2020
वृन्दावन की माटी चंदन
माथ लगाते नर-नारी-जन।
फूल मनोहर वृक्ष-लताएँ,
गऊ, घाट, यमुना का पानी
परिकम्मा में रमण बिहारी
रुनझुन-रुनझुन राधारानी
वृन्दावन का नित अभिनंदन,
प्रेम-मुदित करते तुलसी वन।
घर-घर मंदिर, मंदिर में घर
जहाँ विराजें कृष्ण-मुरारी
हरि-चर्चा, पद, भजन-कीर्तन
करते-सुनते भक्त-पुजारी
वृन्दावन का शत-शत वंदन
करते साधू-संत-महाजन।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
साहित्यिक आलेख
सामाजिक आलेख
पुस्तक समीक्षा
गीत-नवगीत
ललित निबन्ध
बात-चीत
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}