ज़िंदगी (जयदेव टोकसिया)
काव्य साहित्य | कविता जयदेव टोकसिया15 Oct 2019
ज़िंदगी रंग बदलती है
एक पत्ते की भाँति
ऋतु के बदलते ही
बदलती है कांति
हरा पीला भूरा
है सब बस मौसम का जादू।
ज़िंदगी रंग बदलती है
एक पत्ते की भाँति
ख़ुशियाँ आ जाती हैं कभी
एक सावन की भाँति
जेठ आषाढ़ की सूखी कलियाँ
दिखती हैं सब लहराती
गर्म हवा के झोंके से
मुरझा जाती हैं
कभी अमीरी तो कभी
ग़रीबी आती है
तो कभी बसंत के फूलों- सी ख़ुशबू आती है
ज़िन्दगी रंग बदलती है
एक पत्ते की भाँति॥
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Vikash Kumar 2019/10/11 12:25 PM
बहुत अच्छा लिखा है।