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छोटी चिड़िया–01

आज मैं एक छोटी चिड़िया के बारे में आपको एक लघु कथा सुनाने जा रही हूँ जिसको मैंने कोरोना के वक़्त में दर्ज किया था। 

छोटी चिड़िया न जाने क्यों प्रायः उदास रहा करती थी और दिन-रात दुनिया की छोटी बड़ी तमाम समस्याओं के बारे में सोचती रहती थी साथ ही अपने व्यक्तिगत मसलों के बारे में भी। 

आज वह फिर उदासी के अथाह सागर में डूबी हुई थी कि उसके एक वरिष्ठ मित्र ने चिड़िया से कुछ अच्छा सुनाने की फ़रमाइश की। चिड़िया आज इसलिए बहुत दुखी थी कि उसे तीन वर्ष काम करते व्यतीत हो गए लेकिन आज तक उसे तीन पैसे भी पगार में नहीं मिल पाए। वह गहन चिंतन में डूबी थी लेकिन आदरणीय मित्र के प्रथम अनुरोध को कैसे टाले? 

उसके दिमाग़ में झटपट एक ख़्याल आया कि उसके मित्रों की संख्या कुल पंद्रह सौ है, यही सुनहरा अवसर है कि सच्चे मित्रों की पहचान भी हो जाए। अतएव वह एलान कर दे कि उसके सभी मित्र उसके छोटे से अस्तित्व के बारे में एक पेज लिख दें; उसकी 1500 पृष्ठ की एक यादगार पुस्तक बन जाय। जब निराला जी ‘कुकुरमुत्ता’ को अमर कर सकते हैं तो उसके मित्र उसे छोटी सी ख़ुशी क्यों नहीं दे सकते? यह सब अपने आपमें कितना अनमोल ख़ज़ाना होगा यह सोच छोटी चिड़िया ख़ुशी-ख़ुशी नीले ख़ुशनुमा आकाश में उड़ान भरने लगी। 

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