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छोटी चिड़िया–07 

 

भीषण गर्मी के कारण छोटी चिड़िया बहुत थकान महसूस कर रही थी। आज उसे बहुत दूर जाने का मन नहीं हो रहा था। सड़कें सन्नाटे से भरी हुई थीं। कोरोना के कारण सभी अपने-अपने घरों में सिमटे हुए थे। अतएव उसने मन ही मन निश्चित किया कि आज फिर वह पिछले घर में ही जाएगी। उस दिन घर से निकलते वक़्त उसने एक आंटी-अंकल को देखा था। आज वह उन्हीं से मिलने जाएगी। 

वह बच्चों को दाना-पानी देकर घोंसले से निकल पड़ी और नदी के ऊपर से उड़ान भरती हुई सड़क पार करके फिर उसी मकान के गेट पर पहुँच गयी। उनके यहाँ ढेरों एलोवेरा के पौधे लगे थे। आंटी सुबह-सुबह टहल रही थीं और एलोवेरा की पत्तियों को तोड़कर कर स्पून से निकाल कर खा रही थीं फिर उन्होंने उसको अपने चेहरे पर भी लगा लिया। आंटी अंकल दोनों ही अस्सी के आस-पास की उम्र के थे। अंकल भी टहल कर आ चुके थे और उन्हें चाय के लिए आवाज़ दे रहे थे। आंटी झटपट अपने किचन गार्डन से तुलसी जी की पत्ती तोड़कर ले आयीं और अदरक गोल-मिर्च डाल कर गैस पर चाय बनाने में जुट गयीं थी। वैसे आंटी अंकल रोज़ सुबह उठकर पहले काढ़ा ही पीते हैं। आंटी की चाय बन चुकी थी; वह अपनी और अंकल की चाय लेकर आईं और आज का समाचार पत्र उलट-पुलट कर देखने लगीं। 

मुख्य पृष्ठ पर सारे स्कूल काॅलेज पूर्ववत बंद करने का एलान था। अंकल भी चाय पीते-पीते समाचार-पत्र पढ़ने लगे। चिड़िया एक बहुत बड़े घर में आई थी, आंटी इस शहर के एक मात्र महिला स्नातकोत्तर काॅलेज की प्राचार्या रह चुकी हैं। यह इस काॅलेज की फ़ाउंडर प्रिंसिपल रह चुकी हैं। अंकल जी भी साइंस विभाग में रीडर थे। दोनों लोग सेवानिवृत्त होकर भी बहुत सक्रिय हैं सामाजिक गतिविधियों में मुख्य अतिथि के लिए आमंत्रित होते रहते हैं। नगर के संभ्रांत वर्ग में आंटी की अच्छी पकड़ है एवं कई सम्मानित पदों पर बनी हुई हैं। लोक अदालत में भी बैठती थीं और निर्णय देती थीं। आंटी एक बहुत अच्छी वक़्ता भी हैं। 

अब आंटी-अंकल दोनों लोग उठकर अपने-अपने कमरे में जाकर योगा करने लगे। अब ये दोनों लोग 1 घंटा योगा करेंगे। चिड़िया भी पेड़-पौधों और फूल-पत्तियों को देखकर चहचहाने लगी। तभी अंदर से ॐ . . . की ध्वनि उसके कानों में पड़ने लगी। चिड़िया मंत्रमुग्ध होकर सुनने लगी। आंटी बहुत पहले यहीं एक बड़े से कमरे में कुछ परिचित महिलाओं को योगा का प्रशिक्षण भी दिया करती थीं। आंटी का योगा में अटूट विश्वास है। बहुत दिन पूर्व इनकी स्थिति अचानक गंभीर हो गयी थी उस वक़्त डाॅ. ने इन्हें योग के लिए सलाह दिया था जिसके प्रभाव से आंटी पूर्णतः स्वस्थ हुईं और नियमित रूप से सुबह-शाम योगा करती हैं। 

चिड़िया ने देखा कि दोनों लोगों का योगा समाप्त हो चुका था। अतः वे दोनों लोग स्नान, ध्यान, पूजा- पाठ से निवृत्त होकर फिर टेबल पर बैठ गये। जहाँ आंटी ने पहले से ब्रेकफ़ास्ट तैयार कर रखा था, जिसमें रात के भिगोये हुए बादाम, स्प्राउट्स, अपने लिए मुसली, पके हुए केले और अंकल के लिए दूध, रख चुकी थीं। दोनों लोगों ने ब्रेकफ़ास्ट किया और चिड़िया घर आँगन में टहलती रही। अब दो बजे के वक़्त ही ये लोग लंच करेंगे। तब तक आंटी कोई पुस्तक पढ़ने में तल्लीन हो गईं और अंकल डायरी में हिसाब-किताब लिखने बैठ गये थे। 
अब चिड़िया को यहाँ अच्छा लग रहा था उसे पास के घर से ख़ुश्बू आ रही थी। थोड़ी देर में एक महिला जिनका नाम नवनीत है यह इन दोनों लोगों का बहुत अधिक ख़्याल रखती हैं, वह अपने घर से गर्मागर्म आलू के पराठे और रायता लेकर हाज़िर हुईं थी। अब आंटी को लंच भी नहीं बनाना था अतः वह बातचीत में तल्लीन हो गयीं। आंटी का ऐसा मानना था कि कोरोना जैसी कोई चीज़ नहीं है। यह सब अफ़वाह है, वह दिनभर टहलती रहती हैं और किसी न किसी काम में लगी रहती हैं। कभी भी ख़ाली नहीं बैठतीं न ही अपना समय बर्बाद करती हैं। महीने में एक बार अपने गुरुजी के आश्रम भी जाती हैं फिर पूरा दिन वहाँ के अनुष्ठान में सम्मिलित होती हैं। चिड़िया को भी वातावरण बहुत प्रसन्नता से भरा हुआ लगा। कोरोना की कोई दहशत नहीं थी। सब कुछ सामान्य और सहज था। जबकि आस-पास कोरोना के मरीज़ थे और लोग बहुत ड़रे हुए थे। दोपहर के दो बजते ही आंटी अंकल ने लंच किया और लंच के बाद आंटी अपने परिचितों और बच्चों से फोन पर बातचीत करने लगीं और अंकल जी आराम करने लगे। 

इनके सभी बच्चे दूर रहते हैं, बस ये दोनों लोग ही यहाँ रहते हैं, बच्चे वक़्त पर इनसे मिलने आते रहते हैं। यह भी बच्चों के पास चली जाती हैं, अभी कोरोना में आना-जाना सब बंद है। थोड़ी देर बातचीत करके आंटी गीता का पाठ करने लगीं और शाम का वक़्त इन दोनों लोगों के संध्या की पूजा का होता है। अब चिड़िया को थोड़ा हल्का लगा और वह उत्साहित हो उठी . . . उसे लगा कि उसने अच्छा ही किया जो दूर कहीं नहीं निकली। अब उसे अपने बच्चों के पास भी जाना था, अतः वह ख़ुशी-ख़ुशी उड़ान भरती हुई नदी पार करके अपने घोंसले की ओर चल दी। 

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