हालात
शायरी | नज़्म आशुतोष शर्मा31 Mar 2014
एक उम्र तक हालात से लड़ना चाहिए
फिर बेझिझक समझौता कर लेना चाहिए।
यह तुझपर है अपने को बरकरार रख
वक़्त की ठोकर से नहीं बिखरना चाहिए।
आँसू बहा ग़मों की क्यों नुमाईश लगाएँ
दर्द अपना है अपने को सहना चाहिए।
ख़ुशक़िस्मत है तुझे बस नाकामी ही मिली
इस आग में तुझे ओर निखरना चाहिए।
भटक न जाएँ कहीं क़दम क़ामयाबी से
इसलिए तंग रस्तों से गुज़रना चाहिए।
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