कमला घटऔरा - 2
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु कमला घटऔरा15 Aug 2019
1.
ठंडक आई
बिन ख़बर दिये
अतिथि जैसी।
2.
कोहरा पड़ा
बर्फ़ शिला सी जमी
बेबस धरा।
3.
पवन बनी
चक्रवात चंचल
पाँव उखाड़े।
4.
नभ नीरद
कर कर किलोल
सूर्य छुपायें।
5.
प्रेमी बदरा
चाहे सुनाना, झर
प्रेम तराना
6.
आई फुहार
रसभरी प्रेम की
धरा निहाल।
7.
कहीं फुहार
कहीं बाढ़ क़हर
जीवन त्रस्त।
8.
सूखा आँगन
मरे जलाभाव से
डूबा, पानी से।
9.
अदृश्य रहे
वह रचनाकार
भाव विहीन।
10.
करे जो भाये
रहस्य जाने कैसे
तुच्छ मानव।
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