क्या वह दोषी है?
कथा साहित्य | लघुकथा डॉ. सुनीता श्रीवास्तव1 Jun 2024 (अंक: 254, प्रथम, 2024 में प्रकाशित)
“अब जाकर घर आ रही हैं . . .!! तुम्हारे कारण माँ चल बसी, एक भी फोन नहीं उठाया तुमने?” राशि का पति उत्तम, भरी भीड़ में सबके सामने राशि पर भड़क उठा!
राशि अस्पताल की चिकित्सक है, पति का ग़ुस्सा और सासु माँ की मृत्यु का समाचार सुनकर राशि अवाक् रह गई . . . इस वक़्त कुछ न बोलना ही उचित समझते हुए, वो चुपचाप अंदर चली गई। अंदर का सारा दृश्य देखकर वो और भी स्तब्ध रह गई!
उसके मायके वाले भी आ चुके थे, और उसे कुछ ख़बर ही नहीं? जब अंदर जा कर अपना फोन निकाला तो देखा उसमें अनगिनत मिसकॉल थे। कॉल देखकर उसे पछतावा तो हो रहा था . . .
पर रात को अचानक यातायात दुर्घटना के कारण आपातकालीन केस आने से रात भर नींद त्याग कर घायलों के उपचार करने के बाद, थक कर वो सुबह 5 बजे घर को रवाना हुई।
अस्पताल में ही मोबाइल की बैट्री ख़त्म होने से, वह फोन नहीं उठा पाई।
और यह सारा सिलसिला राशि ने अपनी बहन को बताते हुए पूछा, “उत्तम ने माँ की मृत्यु का दोषी मुझे क्यों ठहराया?”
वह बोली, “डॉक्टर ने बताया कि माँ को रात में दवाई नहीं मिली जिससे उनकी मृत्यु हो गई। जब सभी ने पूछा कि दवाई क्यों नहीं दी गई? तो उत्तम ने कहा, ‘यह राशि का काम था, पर वह तो रात भर अपने डॉक्टर सहकर्मियों के साथ गपशप कर रही होगी!’”
अपनी बहन की यह बात सुन राशि की आँखें अश्रुओं से नम हो चुकी थीं। मन ही मन दुख और पीड़ा से सोचने लगी, “माँ की देखभाल पूरे परिवार की ज़िम्मेदारी थी, लेकिन उत्तम ने तो यह ज़िम्मेदारी केवल मुझ पर डाल दी . . . कितना कायर है उत्तम? उसे क्या पता मैं अभी कितने यात्रियों की जान बचाकर आई हूँ . . .!”
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
लघुकथा
आप-बीती
कविता
सामाजिक आलेख
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं