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सौदा 

मराठी कविता: व्यवहार
मूल कवि: हेमंत गोविंद जोगलेकर
अनुवाद: हेमंत गोविंद जोगलेकर

आख़िरकार यही भी एक सौदा है। 
और सौदा हमेशा नाप तोल कर करना चाहिए। 
लेन देन की बातें पहले ही तय हो। 
मैं आप को एक कविता दूँगा। 
यह ज़रूरी नहीं कि एक यानी एक ही हो। 
एक में ही होंगे अनेक कविताओं के गर्भ कुचले हुए। 
किन्तु सुविधा के लिये हम उसे एक कविता कहेंगे। 
कविता में एक रास्ता होगा—
मोड़दार, घने पेड़ों में से गुज़रता हुआ, 
पेड़ों पर पंछियों का चहचहाना . . .
रास्ते के वास्ते बिछाऊँगा 
अपनी ख़ुद की अँतड़ी
जितनी हो सके सीधी करके। 
हाँ, अंदर लगा दूँगा 
नर्म और ऊनी अस्तर, अगर चाहें आप। 
पेड़ों की जगह रख दूँगा दोनों ओर
हाथ से खिसके आज तक के ज़िन्दगी के बरस
और पंछियों के चहचहाने की जगह 
स्वरबद्ध की हुई
मेरे अपनों की सिसकियाँ। 
मेरी कविता के रास्ते पर
आपको तनहा ही चलना होगा
सिर्फ़ अंत में आयेगा
मेरा निर्विकार नामपट्ट
जैसे रास्ते के किसी गाँव का
जो कहता है:
‘आप का सफ़र सुखमय हो। 
धन्यवाद!’
आख़िरकार यह भी एक सौदा है
और सौदा हमेशा दुतरफ़ा होना चाहिये। 
मैं आप को एक कविता दूँगा। 
क्या आप मेरी कविता में प्रवेश करोगे? 

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