अपनी बेटी के नाम
अनूदित साहित्य | अनूदित कविता देवी नागरानी15 Sep 2019
सिंध की लेखिका- अतिया दाऊद
हिंदी अनुवाद –देवी नागरानी
(एक थका हुआ सच - अनुवादक देवी नागरानी)
अगर तुम्हें ‘कारी’ कहकर मार दें
मर जाना, प्यार ज़रूर करना!
कारी = कलंकित
शराफ़त के शोकेस में
नक़ाब ओढ़कर मत बैठना,
प्यार ज़रूर करना!
प्यासी ख्वाहिशों के रेगिस्तान में
बबूल बनकर मत रहना
प्यार ज़रूर करना!
अगर किसी की याद हौले-हौले
मन में तुम्हारे आती है
मुस्करा देना
प्यार ज़रूर करना!
वे क्या करेंगे?
तुम्हें फक़त संगसार करेंगे
जीवन के पलों का लुत्फ़ लेना
प्यार ज़रूर करना!
तुम्हारे प्यार को गुनाह भी कहा जायेगा
तो क्या हुआ? ...सह लेना।
प्यार ज़रूर करना!
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ग़ज़ल
- अब ख़ुशी की हदों के पार हूँ मैं
- उस शिकारी से ये पूछो
- चढ़ा था जो सूरज
- ज़िंदगी एक आह होती है
- ठहराव ज़िन्दगी में दुबारा नहीं मिला
- बंजर ज़मीं
- बहता रहा जो दर्द का सैलाब था न कम
- बहारों का आया है मौसम सुहाना
- भटके हैं तेरी याद में जाने कहाँ कहाँ
- या बहारों का ही ये मौसम नहीं
- यूँ उसकी बेवफाई का मुझको गिला न था
- वक्त की गहराइयों से
- वो हवा शोख पत्ते उड़ा ले गई
- वो ही चला मिटाने नामो-निशां हमारा
- ज़माने से रिश्ता बनाकर तो देखो
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