चूड़ियाँ
काव्य साहित्य | कविता रीता तिवारी 'रीत'15 Sep 2021 (अंक: 189, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
हाथों में खनकती हैं जब-जब,
संगीत की धुन सी लगती है।
हाथों का वह शृंगार करें,
मनमोहक प्यारी लगती है।
सतरंगी छटा बिखेर रही,
करती है अलंकृत यौवन को,
सौभाग्य का वह प्रतीक बनकर,
महका देती है तन मन को।
सब रंगों की वो रानी बन,
कलरव करती है हाथों में।
जीवन की मधुर कहानी बन,
वह घुल जाती है साँसों में।
है मधुर प्रणय का वह प्रतीक,
मधुमय करती है जीवन को।
सौभाग्य का वह बनकर प्रतीक,
महका देती है तन मन को।
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