ग़लती (सुशांत सुप्रिय)
काव्य साहित्य | कविता सुशांत सुप्रिय2 Jun 2016
शुरू से ही मैं चाहता था
चाँद-सितारों पर घर बनाना
आकाश-गंगाओं और नीहारिकाओं की
खोज में निकल जाना
लेकिन बस एक ग़लती हो गई
आकाश को पाने की तमन्ना में
मुझसे मेरी धरती खो गई
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