इस पल है जीवन
काव्य साहित्य | कविता उत्तम टेकड़ीवाल27 Oct 2018
जन्म हुआ था मेरा
उन पत्तियों के हरित धरातल पर
एक लचीली ख़ूबसूरत डाल पर
हवाओं की ख़ुशबू से सराबोर
सूरज की चमक समेटे हुए
बूँद ही सही,भरपूर था जीवन।
जन्म हुआ था मेरा
मासूमियत के होंठों पर
गर्द की पर्तों के पीछे से
कठिनाइयों के पहाड़ों को चीर
उम्मीदों का सूर्य निकला हो जैसे
इक हँसी ही सही, बिंदास था जीवन।
जन्म हुआ था मेरा
आशाओं की तुलसी के नीचे
अमरत्व की पताका लिए
तिमिर के चक्रव्यूह से जूझते हुए
ऊर्जा के अंकुर बिखरने
लौ बन दीये की ज्वलंत था जीवन
जन्म हुआ था मेरा हर पल
पिछले हर पल के मर मिटने पर
लहर- लहर मिल कर सागर सा अनंत,
सुंदर, निर्मल, कर्मठ, आनंदित,
भरपूर, बिंदास, ज्वलंत, शाश्वत
जो मेरा अभी, इस पल है जीवन।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
"पहर को “पिघलना” नहीं सिखाया तुमने
कविता | पूनम चन्द्रा ’मनु’सदियों से एक करवट ही बैठा है ... बस बर्फ…
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
कविता-मुक्तक
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं
{{user_name}} {{date_added}}
{{comment}}