मेरा वो पहला प्यार
काव्य साहित्य | कविता दीप्ती देशपांडे गुप्ता1 Jan 2021 (अंक: 172, प्रथम, 2021 में प्रकाशित)
मेरा वो पहला प्यार
आज भी पहला ही है
अपने लड़की होने का
वो एहसास
आज भी पहला ही है
ना जाने कितने ही पल
गुज़र गए उन लम्हों को जिये
लेकिन तुम्हारे साथ बिताया हुआ
हर वो पल
आज भी पहला ही है
तुम जानकर भी अनजान बने रहे
और मेरे प्यार को ठुकरा कर चल दिये
लेकिन तुम्हें ना पा सकने का
वो दर्द
आज भी पहला ही है
ज़माना बदला, तुम बदले और
ज़िन्दगी ने हमारे रास्ते भी बदले
फिर भी किसी मोड़ पर तुम
एक बार मिल जाओ ये ख़याल
आज भी पहला ही है
मैं बेटी से लड़की, लड़की से
पत्नी और पत्नी से माँ बनी
लेकिन एक बार तुम्हारी प्रेमिका बन के
जीने का सपना आज भी पहला ही है
ज़िन्दगी से मेरी कोई माँग नहीं,
इसने मुझे सब कुछ दिया है लेकिन
तुमसे हर सवाल का जवाब माँगने का
मेरा वो हक़
आज भी पहला ही है
मेरा वो पहला प्यार
आज भी पहला ही है।
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