मेरी दुनियाँ
काव्य साहित्य | कविता अजन्ता शर्मा6 Apr 2007
ये ख़्वाबों ख़्यालों विचारों की दुनियाँ
मन को दुखाते कुछ सवालों की दुनियाँ
उस कोने पड़ी एक शराब की बोतल
इस कोने पड़ी खाली थालों की दुनियाँ
दौड़ते औ भागते रास्तों का फन्दा
या तन्हा सिसकती राहों की दुनियाँ
तू कौन क्या तेरा क्या उसका क्या मेरा
कुछ बनते बिगड़ते सहारॊं की दुनियाँ
एक कमरे में पलते सपनों की दुनियाँ
एक कमरे में ख़्वाब के मज़ारों की दुनियाँ
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं