इच्छामृत्यु
कथा साहित्य | लघुकथा मीरा ठाकुर1 Oct 2023 (अंक: 238, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
ऑफ़िस से लौटी तो पता सुहानी चाची की मृत्यु हो गई। माहौल बड़ा ग़मगीन लग रहा था। चारों ओर उदासी छाई हुई थी। शाम को पति सुमेर के आने पर बातचीत हुई तो सीमा ने पूछा, “क्या हुआ था चाची को? मेरे जाने के दिन तो अच्छी भली थीं, फिर अचानक!”
सुमेर ने कहा, “कुछ नहीं सीमा। उसी दिन जिस दिन तुम टूर पर गईं, मैं उनसे मिलने गया था। वे बहुत उदास लग रहीं थीं। मेरे बहुत पूछने पर उन्होंने बताया कि वे अब ज़िन्दा नहीं रहना चाहतीं। पति की मृत्यु से ही वे बहुत उदास और अकेली पड़ गई थीं। बात-बात में उस दिन बड़ी बहू ने कह दिया था कि उनके काम और कोई नहीं आएगा, जब वे बिस्तर पकड़ेंगी तब वे ही उनको हलवा घोलकर पिलाएगी। सुहानी चाची ने उससे तुरंत कहा था कि ऐसा होने के पहले वे मर जाना पसंद करेंगी।”
छोटे बेटे-बहू की घर में चलती न थी, बड़ा बेटा कुछ बोल नहीं पता था। अगले दिन चाची नहाने गई और वहीं फिसल कर गिर गईं। दूसरी सुबह पता चला कि सुहानी चाची रात को जो सोई, सोती ही रह गईं।
‘ओह! तो उनकी इच्छामृत्यु हुई,’ सीमा ने मन ही मन कहा।
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