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क़ब्र

मूल कवि: युआन तियान
अंग्रेज़ी अनुवाद: डेनिस मेर (Grave)
हिन्दी अनुवाद: बृजेश सिंह


चहचहाती कुछ चिड़ियाँ  
क़ब्र पर बैठ   
मिटाती है फैली निशब्दता को। 
 
घास की मुरझाकर झुकीं पत्तियाँ 
शीतल हवा के झोंकों संग  
बार-बार बुहार रहीं हैं क़ब्र को।   
 
जब से दिवंगत लाया गया दफ़नाने, 
तब से जड़ें जमा ली हैं यहाँ 
उदासी और स्मृतियों ने। 
 
यहाँ क़ब्र के शिलाखंड तक जो भी आया,
प्रार्थना करने से पहले,   
छोड़कर चला गया अपने पदचिन्हों को।  
 
रेगिस्तान! क़ब्र है ऊंट की,
समुद्र! क़ब्र है नाविक की,
पर पृथ्वी सभ्यताओं की क़ब्र है। 
 
पृथ्वी के वक्ष पर 
सुडौल उरोज की मानिंद उभरा
क़ब्र का टीला; 
मृत्यु का ही एक रूप है। 
 
मौन क़ब्र समय संग होती है परिपक्व 
चाहे इसे बाढ़, रेतीला बवंडर मिटा दे तब भी, 
नहीं बदलती कभी अपने आपको। 
 
क़ब्र का टीला
किसी अपने की पदचाप सुनने को 
फलक पर कान की मानिंद 
चिपक जाता है मैदान पर।

 

GRAVE
Poet: Tian Yuan
Translation by Denis Mair
 
A few chirping birds
Startle the surrounding stillness
And settle on a grave
 
Withered grass-blades on the grave all bending 
Under gust after gust of cool wind
Stroke after stroke of an unseen comb
 
The departed one was brought here and buried
From then on sorrow and memory
Settled in and took root here
 
The living walk up to the gravestone
Before it the make gestures of prayer
Then walk off, leaving their footprints
 
The desert is the grave of a camel
The ocean is the grave of a sailor
The earth is the grave of a civilization
 
The grave mound is a form that death takes
Like a shapely breast
Bulging from the earth’s chest
 
A silent grave matures over time
But never shifts its position
Even when floods and dunes efface it
 
A grave mound sticks up on the land
Like an ear on the horizon
Listening for the sound of familiar footsteps

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टिप्पणियाँ

Dr.R.B.Bhandarkar 2021/09/14 09:09 AM

कविता अच्छी है।हिंदी काव्यानुवाद बहुत अच्छा लगा है।अनुवादक को बधाई।

कृपया टिप्पणी दें

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