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सर्प युगल

सुंग्रये हान Sungrye Han, एक कोरियाई कवियत्री और अनुवादक (जापानी-कोरियाई) हैं, जिनकी कविता ‘Pair of Snakes’  हिंदी भाषा में ‘सर्प युगल’ शीर्षक से बृजेश सिंह द्वारा अनूदित किया गया है ।

 

सूरज ढलने लगा  
वे खा रहे हैं एक दूसरे को पूँछ से  
यही वो पल है जब दिमाग़ उलटा चलता है   
वृत्ति के तल पर छूटते इन्द्रिय स्पंदन     
अचेतन की कुण्डी खुल जाने से 
वे सम्मोहित हो गए एक दूसरे में, 
और धीमे-धीमे दुम से निगलने लगते हैं   
दोनों एक ही दर से घट रहे हैं
लम्बाई जितनी छोटी, पकड़ उतनी सख़्त, 
वे निगलते हैं प्रतीकों, संतृप्त होते भावों को, 
धीमे धीमे अंत की ओर
छोटा दर छोटा होता सर्प युगल,
एक दूसरे का लाल रक्त चूस
मुकम्मल हो जाते एक बड़े गोले में 
दोनों शाश्वतता के लिए ग्रहण कर लेते एक दूसरे का शरीर,  
ठीक उसी पल रक्तिम सूरज
समुद्र में छलांग लगा देता है 


मूल कवयित्री: सुंग्रये हान Sungrye Han
अँग्रेज़ी में अनुवादक: जेह्यूंग पार्क (Jaehyung Park)

PAIR OF SNAKES 
  
Mutual queues are being eaten
As the sun goes down
It is the moment when the head moves backwards
And slowly they eat each other by the tails
Behind the impulse left deep by instinct
Unconscious latch unlocked
How hypnotized they were from each other
They proceed at the same rate
And the pace increases as they become shorter
They swallow symbols, notions of satiety
The pair of snakes gets shorter and shorter
Gradually towards the end
They suck each other’s scarlet blood
They complete in a large circle
In pairs they take each other’s bodies for eternity
A red sun
It rushes into the sea right now.

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