ऐ ज़िन्दगी
शायरी | नज़्म महेश पुष्पद15 May 2019
ऐ ज़िन्दगी सुन,अपनी रफ़्तार ज़रा धीमी कर,
मैं थक सा गया हूँ, थोड़ा आराम दे दे,
है मुमकिन अगर तो लौट चल, ख़यालों की दुनिया में,
वो गुज़रे लम्हे लौटा दे, वो शाम दे दे।
मजबूर होकर कब तलक, तेरे फ़ैसले करूँ मंज़ूर,
हर दफ़ा तूने मुझसे बेईमानी की है,
निरंकुश होकर तूने हर चाल चली है मुझ पर,
हर मर्तबा अपनी मनमानी की है।
आज तलक तेरे इशारों पर, दौड़ता आया हूँ मैं,
लम्हातों को बिन जिये ही, छोड़ता आया हूँ मैं
रहम कर मुझ पर,मेरे जज़्बातों की क़द्र कर,
बस आ रहा हूँ मैं, कुछ पल तो सब्र कर।
गुज़ारिश है तुझसे, एक इजाज़त तो दे दे,
वो बरसों से बिछड़ी, हुई मुहब्बत तो दे दे,
ताउम्र मैं रहूँगा, शुक्रगुज़ार तेरा,
वो लम्हे दोबारा जीने की, मोहलत तो दे दे।
महेश पुष्पद
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Rohit Yadav 2019/05/19 05:02 AM
Gajab bahut sunder.shufiyana andaj Mahesh ji