कामना (पाराशर गौड़)
काव्य साहित्य | कविता पाराशर गौड़30 Aug 2007
ओ करुणामयी
ओ ममतामयी
ओ सृष्टि के रचियता
ओ भाग्य विधाते
कुछ ऐसा कर दे
ऐसा वर दे
संताप धरा के हर दे...ओ...
नित नये सूरज उगें
नित नई प्रभातें हों
धरा के आंचल में
फूटे नित नये अंकुर हों
दरिद्रता हटे, हटा दे
मानव का तू उद्धार कर दे...ओ...
असहायों को मिले अभयदान
पीड़ितों को सम्मान मिले
अत्याचारों पर लगे अंकुश
मानवता को संबल मिले
प्रेम का रस बंटे
कटुता मिटे, मिटा दे... ओ...
हो उज्जवल कामनाएँ
फलीभूत हो आशायें
भानु वेग भर वरुण का
वरदहस्त हो जीवन मस्त हो
चहुँ ओर खुशी हो
खुश हो खुशहाली भर दे...ओ...
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