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कृष्ण जन्म- सत्य एवं न्याय

अर्ध निशा मे मिली दिशा
कारागृह में जन्मी स्वतंत्रता
कृष्ण जन्म की तिथि अष्टमी
ले आई जनमानस में प्रभुता!
 
काल खंड में पीड़ित शोषित 
जीवित होते भी लगभग मृत
वासुदेव व देवकी के सम्मुख 
परम न्याय की अभिव्यक्ति आई!
 
महा त्याग था हुआ युगों का
वध सप्त  शिशुओं का
जनक जननी के चक्षु समक्ष
उत्तर आपेक्षित था करुणाकर का!
 
एक तिथि पर जन्मी माया
मायापति से पहले
लीला करने गोकुल को चिह्नित कर
माया में बाँधा योगेश्वर को!
 
लीलाधर गोकुल जा पहुँचे
परम आनंदित जग को करने
सत्य,  ज्ञान, प्रेम,  शौर्य को
सिद्ध  हस्तगत करने!
 
जीवन भी पलता है
दावानल में, बधंन में
परम धैर्य संग, न्याय है दिखता
सत्यमेव विजय में!
 
ज्ञान शौर्य संग है विवेक
तब युद्ध न्यून हो जाते हैं
कृष्ण जन्म हो मध्य निशा में
बंधन सब खुल जाते हैं!

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