आज यह जाना मैंने . . .
बाल साहित्य | किशोर साहित्य कविता डॉ. उमेश चन्द्र सिरसवारी15 Sep 2024 (अंक: 261, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
आज यह जाना मैंने,
माँ बड़ी दयालु होती है।
ख़ुद सह लेती कष्ट सभी,
न कभी शिकायत करती है।
आए विपत्ति लाख पूत पर,
हर बार मरहम बन जाती है।
कष्टों का अहसास न करती,
न बिल्कुल भी वो सोती है।
आज यह जाना मैंने,
माँ बड़ी दयालु होती है॥
पिता लाख कठोर बन जाएँ,
पर माँ तो माँ ही होती है।
हर बात का ख़्याल वो रखती,
पिता की डाँट को सहती है।
बच्चे मेरे पढ़कर नाम कमाएँ,
आशीर्वचन सभी को देती है।
औलाद भले बन जाए निष्ठुर,
माँ बड़ी दयालु होती है।
मेरे बच्चों पर कृपा रखें प्रभु,
हर मुसीबत से लड़ जाती है।
रूखा-सूखा खा करे गुज़ारा,
बच्चों के सपने सँजोती है।
आज यह जाना मैंने,
माँ बड़ी दयालु होती है॥
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