बेटी की शादी
कथा साहित्य | लघुकथा ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'16 Oct 2015
रमानाथ ने जैसे ही मंडप में प्रवेश किया वैसे ही अलोक से पूछा, "आलोक जी! जहाँ तक मुझे पता है कैलाशजी का एक ही लड़का था – रमन.. जिस की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो चुकी थी।"
"हाँ तो?"
"फिर ये शादी किस की है?"
"उन की लड़की की।" आलोक ने कहा तो रमानाथ अपनी जिज्ञासा रोक नहीं पाए,
"मगर उन के तो एक ही लड़का था जिस की शादी हो चुकी थी। उन की और कोई लड़की नहीं थी। फिर यह किस की शादी है?"
"उसी विधवा लड़की की।"
"क्या?" रमानाथ जी चौंक उठे, "विधवा बहू की?"
"नहीं, विधवा बेटी की। आप ने पत्रिका नहीं देखी है क्या?"
रमानाथ क्या जवाब देते। वे भी शादी के दौरान कभी कैलाश जी को देख रहे थे तो कभी उस विधवा बेटी को।
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