तोहफ़ा
कथा साहित्य | लघुकथा ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'18 Apr 2018
मोहन कैलेंडर में रेगिस्तान में उगे कैक्टस के पौधे को निहार रहा था कि उस की पत्नी की आवाज आई, "अजी, सुनते हो! एक ख़ुश ख़बरी है।"
"क्या है?"
"आप पापा बनने वाले हो।"
"क्या?"
"हाँ!"
यह सुनते ही मोहन की "अवाक्" निगाहे डॉक्टर की रिपोर्ट पर चली गई, जिसमें लिखा था कि आप कभी बाप नहीं बन सकते है।
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