घरौंदा
कथा साहित्य | लघुकथा ओमप्रकाश क्षत्रिय 'प्रकाश'19 Jul 2016
माँ ने मोटरसाइकिल की ओर इशारा किया, "देख रमेश, अपनी बीवी को! लोग कहते हैं कि पति के होते हुए वह दूसरे के साथ...."
"क्या माँ, आप भी!" रमेश अपने बेटे बबलू को घर के बाहर पड़ी रेत पर घरौंदा बनाना सिखाते हुए बोला।
"वह दूसरों के साथ..."
"ऑफिस जाती है माँ," रमेश ने तेज़ आवाज़ में बोल गया, "मैं भी ऑफिस जाता हूँ, मगर तब आप कुछ नहीं बोलतीं...," रमेश और कुछ कहता तब तक तेज़ आँधी के साथ पानी की बौछारें आने लगीं।
यह देख कर बबलू और रमेश रेत में बने घरौंदे को बचाने का प्रयास करने लगे॥
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