अन्तरजाल पर
साहित्य-प्रेमियों की विश्राम-स्थली

काव्य साहित्य

कविता गीत-नवगीत गीतिका दोहे कविता - मुक्तक कविता - क्षणिका कवित-माहिया लोक गीत कविता - हाइकु कविता-तांका कविता-चोका कविता-सेदोका महाकाव्य चम्पू-काव्य खण्डकाव्य

शायरी

ग़ज़ल नज़्म रुबाई क़ता सजल

कथा-साहित्य

कहानी लघुकथा सांस्कृतिक कथा लोक कथा उपन्यास

हास्य/व्यंग्य

हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी हास्य व्यंग्य कविता

अनूदित साहित्य

अनूदित कविता अनूदित कहानी अनूदित लघुकथा अनूदित लोक कथा अनूदित आलेख

आलेख

साहित्यिक सांस्कृतिक आलेख सामाजिक चिन्तन शोध निबन्ध ललित निबन्ध हाइबुन काम की बात ऐतिहासिक सिनेमा और साहित्य सिनेमा चर्चा ललित कला स्वास्थ्य

सम्पादकीय

सम्पादकीय सूची

संस्मरण

आप-बीती स्मृति लेख व्यक्ति चित्र आत्मकथा यात्रा वृत्तांत डायरी बच्चों के मुख से यात्रा संस्मरण रिपोर्ताज

बाल साहित्य

बाल साहित्य कविता बाल साहित्य कहानी बाल साहित्य लघुकथा बाल साहित्य नाटक बाल साहित्य आलेख किशोर साहित्य कविता किशोर साहित्य कहानी किशोर साहित्य लघुकथा किशोर हास्य व्यंग्य आलेख-कहानी किशोर हास्य व्यंग्य कविता किशोर साहित्य नाटक किशोर साहित्य आलेख

नाट्य-साहित्य

नाटक एकांकी काव्य नाटक प्रहसन

अन्य

रेखाचित्र पत्र कार्यक्रम रिपोर्ट सम्पादकीय प्रतिक्रिया पर्यटन

साक्षात्कार

बात-चीत

समीक्षा

पुस्तक समीक्षा पुस्तक चर्चा रचना समीक्षा
कॉपीराइट © साहित्य कुंज. सर्वाधिकार सुरक्षित

पानी कम है

पानी कम है। 
चलो फूलों से खेलें। 
होली मिल के। 
 
पानी कम है। 
चाय में उनकी भी। 
नेता जी हैं न। 
 
पानी कम है। 
कुओं, नदी, तालों में। 
पेड़ काटे होंगे। 
 
पानी कम है। 
पर दिल बड़ा है। 
तुम भी पियो। 
 
पानी कम है। 
बाढ़ नहीं है यह। 
फ़र्ज़ी न्यूज़ है। 
 
पानी कम है। 
रात अभी बाक़ी है। 
नीट पीते हैं। 
 
पानी कम है। 
आग नहीं बुझेगी। 
लगाई क्यों थी? 

अन्य संबंधित लेख/रचनाएं

अँगूठे की व्यथा
|

  पहाड़ करे पहाड़ी से सतत मधुर प्रेमालाप, …

अचार पे विचार
|

  पन्नों को रँगते-रँगते आया एक विचार, …

अतिथि
|

महीने की थी अन्तिम तिथि,  घर में आए…

टिप्पणियाँ

कृपया टिप्पणी दें

लेखक की अन्य कृतियाँ

हास्य-व्यंग्य कविता

कविता

विडियो

उपलब्ध नहीं

ऑडियो

उपलब्ध नहीं