कितने सभ्य हो गए हो तुम
काव्य साहित्य | कविता - क्षणिका संजय कवि ’श्री श्री’1 Apr 2021
नम्र अभिमान गढ़कर,
नग्न सम्मान गढ़कर,
स्याह द्युतिमान गढ़कर,
कितने सभ्य हो गए हो तुम,
नए प्रतिमान गढ़कर।
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