उसे बिछड़ना था
शायरी | नज़्म संजय कवि ’श्री श्री’1 Sep 2023 (अंक: 236, प्रथम, 2023 में प्रकाशित)
ये रिवाज़ नया नहीं था, उसे बिछड़ना था,
इसलिए मेरी कमियाँ गिनाए जा रहा था;
मुझे याद आ गई वो जश्न-ए-मुलाक़ात,
जब वो मुझे मेरे हुनर बताए जा रहा था।
इश्क़ में टूटकर फिर सहेजना है कैसे ख़ुद को,
ये इल्मीयत मैं दिल को समझाए जा रहा था;
और ये मेरा दिल भी, सुर्ख़ पत्थर हो जैसे,
उसके हर लफ़्ज़ पर मुस्कराए जा रहा था।
ये रिवाज़ नया नहीं था, उसे बिछड़ना था,
इसलिए मेरी कमियाँ गिनाए जा रहा था।
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