माँ तेरी ममता को बहुत याद करता हूँ
काव्य साहित्य | कविता हरिपाल सिंह रावत ’पथिक’16 Oct 2016
माँ तेरी ममता को बहुत याद करता हूँ,
जब चल देता हूँ
ख़्वाबों की पोटली को ले साथ,
थामे नयी सहर में
नयी धुंधली सी आशाओं का हाथ,
दिनभर की ज़द्दो-ज़हद से हारकर,
ख़्वाबों की खाली, अधभरी पोटली को –
फिर से काँधे पे टाँगकर ..,
लौट आता हूँ जब
किराये की उन चार दीवारों में...
माँ तेरी ममता को बहुत याद करता हूँ!!!
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