राखी भेजवा देना
काव्य साहित्य | कविता अंकुर सिंह15 Aug 2021 (अंक: 187, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
बहन राखी भेजवा देना,
अबकी ना मैं आ पाऊँगा।
काम बहुत हैं ऑफ़िस में,
मैं छुट्टी ना ले पाऊँगा॥
कलाई सूनी ना रहे मेरी,
ये बहना याद रख लेना।
मैहर सतना के पते पर,
राखी तुम भेजवा देना॥
करोना काल संकट भारी,
मिलने तुम ना आ जाना।
गर पूछे भाँजी भाँजा तो,
मामा का प्यार कह देना॥
राखी पर ना मेरे आने से,
तुम मुझसे ना रूठ जाना।
हाथ जोड़ कर रहा निवेदन,
राखी ज़रूर भेजवा देना।
भेज रहा राखी उपहार संग,
चिट्ठी में प्यार के दो बोल।
माफ़ करना अपने भाई को,
मना न सका पर्व अनमोल॥
राह देख ना अबकी मेरी,
राखी थाली सजा ना लेना।
क्वरंटाइन का बड़ा झंझट,
भेज राखी फ़र्ज़ निभा लेना।
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