दग़ा कर या वफ़ा कर
शायरी | नज़्म ज्योतिष1 Feb 2022 (अंक: 198, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
दग़ा कर या वफ़ा कर
अब तू मेरा फ़ैसला कर
भर ले मुझको बाँहों में
या मुझसे फ़ासला कर
तन्हा तुम अकेले तो नहीं
ख़त्म ये सिलसिला कर
ज़रूरी नहीं मेरी बात पर
हर बार कोई मसला कर
कोशिश रहे हर बार यही
जो हो सके तो भला कर
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