जो कहा नहीं लबों से वो बात याद आएगी
शायरी | नज़्म ज्योतिष1 Feb 2022 (अंक: 198, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
जो कहा नहीं लबों से वो बात याद आएगी
यूँ रात भर वस्ल की रात याद आएगी
अपने आँचल में तुम्हें उम्र भर छुपाती रही
धूप में निकलोगे तो माँ की याद आएगी
चुभेंगे आँखों में की अश्क जैसे काँटे हो
इस क़दर अब के बरस बरसात याद आएगी
मत जलाओ सब मकान अपनी बस्ती के
अकेले बैठोगे तो बस राख याद आएगी
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