साथ में थी पर साथ नहीं थी
शायरी | नज़्म ज्योतिष1 Feb 2022 (अंक: 198, प्रथम, 2022 में प्रकाशित)
साथ में थी पर साथ नहीं थी
इश्क़ में अब वो बात नहीं थी
चाँद भी था सब तारे भी थे
नींद भी थी बस रात नहीं थी
दिल का मौसम सूख रहा था
बादल थे बरसात नहीं थी
उल्फ़त थी बेचैनी थी बस
दिल की कोई ज़ात नहीं थी
खेल उसी का चाल उसी की
मात मिली जो मात नहीं थी
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