शब्द को कुछ इस तरह तुमने चुना है
काव्य साहित्य | गीतिका सजीवन मयंक30 Apr 2007
शब्द को कुछ इस तरह तुमने चुना है।
स्तुति भी बन गयी आलोचना है॥
आजकल के आदमी को क्या हुआ है।
देखकर जिसको परेशां आईना है॥
दोस्तों इन रास्तों को छोड़ भी दो।
आम लोगों को यहाँ चलना मना है॥
जिसके भाषण आज सडकों पर बहुत हैं।
लोग कहते हैं कि वो थोथा चना है॥
जिस कुएँ में आज डूबे जा रहे हम।
वो हमारे ही पसीने से बना है॥
ठोकरों से सरक सकता है हिमालय।
जो अपाहिज हैं यह उनकी कल्पना है॥
खोल दो पिंजर मगर उड़ ना सकेगा।
कई वर्षों से ये पंछी अनमना है॥
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