उत्सव दीपों का
काव्य साहित्य | कविता - हाइकु बबिता कुमावत1 Nov 2025 (अंक: 287, प्रथम, 2025 में प्रकाशित)
1.
दीप जले हैं,
अँधियारा मुस्काए,
ख़ुश है मन।
2.
सजे चौबारे,
फूल महके द्वारे,
स्वागत गाएँ।
3.
मिट्टी का दीया,
हर उम्मीद संग,
उजियारा है।
4.
पवन बोली,
“प्रेम दीप जलाओ,”
स्नेह बिखरे।
5.
रात जोशीली,
तारों जैसे दीपक—
आशा का पर्व।
6.
रूठे भी हँसे,
दीयों से विश्वास है,
मिलन घड़दिवाली
7. धुआँ नहीं है,
सुगंध दुआओं की,
शुभ दिवाली।
8.
दीप रोशन,
अँधेरा दूर भागे
मन उत्साही।
9.
सजें आँगन,
ख़ुशियाँ झिलमिल
आई दिवाली।
10.
मिट्टी का दीया,
आशा बन सन्देशा—
जगमग है।
अन्य संबंधित लेख/रचनाएं
टिप्पणियाँ
कृपया टिप्पणी दें
लेखक की अन्य कृतियाँ
कविता - हाइकु
सामाजिक आलेख
कविता
लघुकथा
कहानी
विडियो
उपलब्ध नहीं
ऑडियो
उपलब्ध नहीं