बात कुछ की कुछ बताई जाती है
काव्य साहित्य | कविता सजीवन मयंक30 Apr 2007
बात कुछ की कुछ बताई जाती है।
आग यूँ घर में लगाई जाती है॥
उम्र भर की जमा पूँजी खर्च कर।
बेटी की डोली सजाई जाती है॥
लोग लाखों मर गये जब युद्ध में।
संधि की बैठक बुलाई जाती है॥
बहुत मीठा बोलती इसलिये मैना।
कैद में रखकर सताई जाती है॥
राज भक्तों के सहारे से टिकी।
झोंपड़ी अक्सर गिराई जाती है॥
पूछिये उससे जो बोझा ढो रहा।
किस तरह रोटी कमाई जाती है॥
वक्त आया सीख लेंगे आप से।
दुश्मनी कैसे निभाई जाती है॥
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गीतिका
कविता
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