भैया दूज की प्रासंगिकता
आलेख | ललित निबन्ध अनीता रेलन ‘प्रकृति’15 Nov 2024 (अंक: 265, द्वितीय, 2024 में प्रकाशित)
भैया दूज भारतीय संस्कृति में भाई-बहन के स्नेह और रिश्ते को समर्पित एक विशेष पर्व है। दीपावली के पाँचवें दिन मनाया जाने वाला यह त्योहार भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक है। इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है, क्योंकि इसके पीछे यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा जुड़ी हुई है। मान्यता है कि इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, और यमुनाजी ने उन्हें प्रेमपूर्वक भोजन कराया। यमराज ने बहन से प्रसन्न होकर वचन दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर जाएगा और बहन का प्रेम एवं सत्कार प्राप्त करेगा, उसकी उम्र लंबी होगी। तभी से यह पर्व भाई की दीर्घायु और कुशलता के लिए मनाया जाता है।
“भाई-बहन का ये बंधन प्यारा,
प्रेम और स्नेह से भरा, न्यारा।
भैया दूज का ये त्योहार,
लाए ख़ुशियों का उपहार।”
भैया दूज पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं, उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस अवसर पर भाई भी अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनके सुखद भविष्य की कामना करते हैं। यह त्योहार केवल एक रस्म नहीं, बल्कि एक भावना है जो यह दर्शाता है कि चाहे कितना भी समय बदल जाए, भाई-बहन का रिश्ता हमेशा स्थिर और स्नेहमय रहेगा।
“संग संग रहे हर जनम हमारा,
सुख-दुख में सदा हो साथ तुम्हारा।
राखी की डोरी, दूज का प्यार,
हर पल रहे रिश्ते में बहार।”
समाज में भैया दूज की भूमिका
इस त्योहार का संदेश यह है कि भाई और बहन एक दूसरे के सुरक्षा कवच हैं। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि भाई-बहन का रिश्ता न केवल ख़ून का रिश्ता है बल्कि एक भावनात्मक और आत्मीय सम्बन्ध भी है। भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए तत्पर रहता है और बहन उसके लिए मंगल कामना करती है।
“अक्षत और तिलक का सजा थाल,
माँगूँ तेरी लंबी उम्र और ख़ुशहाल।
भैया दूज की ये रीत निभाएँ,
हर जन्म में ये रिश्ता निभाएँ।”
आधुनिक युग में भैया दूज की प्रासंगिकता
आज के युग में भी भैया दूज का महत्त्व कम नहीं हुआ है। यह पर्व भाई-बहन को एक-दूसरे के प्रति कर्त्तव्यों का एहसास कराता है और परिवार की एकता को बनाए रखने का संदेश देता है। आधुनिकता के प्रभाव के बावजूद भी यह त्योहार हमारी सांस्कृतिक धरोहर को सँजोए हुए है।
भैया दूज का महत्त्व केवल एक दिन का नहीं है, यह हमारे समाज के ताने-बाने में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। भाई-बहन के इस प्रेममय रिश्ते का सम्मान और उसे बनाए रखना हमारी संस्कृति की विशेषता है।
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