वादे रहे सदा झूठे
हास्य-व्यंग्य | हास्य-व्यंग्य कविता हरिहर झा15 May 2019
वादे रहे सदा झूठे
उमेठो क्या कान! तोबा
लम्बे चले भाषण बड़े
पब्लिक सेवा के नाते
फ़िल्मी भोंडापन चलता
लाउडस्पीकर चिल्लाते
कान के पर्दे फटेंगे
कर्कश स्वर गान तोबा
दो मत मुझे, ख़ैरात लो !
मंच से रुपये बरसते
चिराग लो अलादीन का
जीत कर तुमको नमस्ते
फिर समझोगे तुम्हारी
तड़पती क्यों जान तौबा
सूत्र सुंदर भविष्य के
घोषणा में हैं लिखाये
एक तो ठर्रा पिलाया
सरग के सपने दिखाये
झूम जाये कहीं धरती
चढ़ गई जो तान तोबा
वायरल हो गई ट्विटर
बाँध नक़्शे में दिखाये
क्या पता दिक्क़त किसी की
एक गगरी के लिये
कई मीलों चले पैदल
धूर्त को ना भान तौबा
रहा ’चाबुक’, साथ ’गाजर’
फल हमारी बंदगी का
चूँ-चपड़ कुछ भी किया तो
डर दिखाया ज़िन्दगी का
बस्तियाँ धूँ धूँ जलेंगी
जो उलट मतदान तौबा
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