विडम्बना
कथा साहित्य | लघुकथा डॉ. रमा द्विवेदी15 Sep 2021 (अंक: 189, द्वितीय, 2021 में प्रकाशित)
"सुना है - चाँद पर पानी खोज रहा है विज्ञान?" अशिक्षित औरत ने शिक्षित औरत से पूछा।
शिक्षित औरत ने उत्तर दिया, "सही सुना है तुमने?"
अशिक्षित औरत ने फिर पूछा, "क्या धरती पर पानी सच में बिलकुल नहीं बचा? अरे हमारे राजस्थान में पानी खोजते तो हम औरतों का कुछ तो भला होता? कैसी विडम्बना है कि धरती पर रहने वालों की न सोच कर चाँद में पानी खोज रहे हैं? इससे धरती पर रहनेवाले का क्या, कब और कैसे भला होगा?? ख़ाली घड़ा लेकर हम औरतें क्या चाँद की ओर ताक-ताक कर अपनी और घरवालों की प्यास बुझायेंगे?"
शिक्षित औरत उसकी ओर अवाक् नज़र से ताकती रह गई।
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