मेरी आँखों में किरदार नज़र आता है
शायरी | नज़्म डॉ. तारा सिंह14 Oct 2007
मेरी आँखों में
किरदार नज़र आता है
रंगे फ़लक यार का
दीदार नज़र आता है
पर्वत जैसी रात
कटी कैसे पूछो मत
आसमाँ फूलों का
तरफ़दार नज़र आता है
सर्द पवन पहले
लगता था मुझे गुलाबी
अब तो सनका-सा
फ़नकार नज़र आता है
माँगे भीख नहीं छीनो
जो चाहे ले लो
यह कहना हमको
दमदार नज़र आता है
तुमसे बिछड़ी भूल -
हो गई 'तारा' की
उनका चेहरा सपनों में
हर बार नज़र आता है
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