नव वर्ष आया है द्वार
काव्य साहित्य | कविता शशि पाधा30 Dec 2008
मंगल दीप जलें अम्बर में
मंगलमय सारा संसार
आशाओं के गीत सुनाता
नव वर्ष आया है द्वार
सुवर्ण रश्मियाँ बाँध लड़ी
ऊषा प्राची द्वार खड़ी
केसर घोल रहा है सूरज
अभिनन्दन की नवल घड़ी
चन्दन मिश्रित चले बयार
नव वर्ष आया है द्वार
प्रेम के दीपक, स्नेह की बाती
आँगन दीप जलायें हम
बदली की बूँदों से घुल मिल
नेह के कण बिखरायें हम
खुशियों के बाँटें उपहार
नव वर्ष आया है द्वार
नव निष्ठा, नव संकल्पों के
संग रहेंगे नव अनुष्ठान
पर्वत जैसा अडिग भरोसा
धरती जैसा धीर महान
सुख सपनें होंगे साकार
नव वर्ष आया है द्वार
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